एक दिन मैं अपने घर के छत पर सोया हुआ था, घर के सामने कुछ ही दूर पर एक आम का बाग़ था ।
जब आँखों ने पेड़ पर लटके खूबसूरत आम के गुच्छो को देखा तो मन किया की क्यों ना तोड़कर खाया जाए ।
आँखे तो फल तोड़ने जा नहीं सकती थी तो दोनों पैरो ने आपस में बातचीत की और चल दिए आम तोड़ने ।
पैर बाग़ तक पहुंच तो गए लेकिन वो फल तोड़ने में असमर्थ थे तभी हाथ आगे आये और फल तोड़े ।
तो फिर क्या होना था मुँह ने भरपूर आनंद लिया ताजे फलो का, तभी अचानक से बगीचे का मलिका आ बैठा ।
उसने ना आव देखा ना ताव उठायी लठ्ठ और दे दनादन बेचारे पीठ को पीटने लगा, फिर होना क्या था आँखों से आँशु छलक बैठे।
इच्छा आँखों की, पूरा करने पैर गए, सहायता किया हाथो ने, स्वाद लिया मुँह ने, मार पड़ी बेचारे पीठ को लेकिन इन सबके बावजूद रोया आंख ही । तभी से लोग कहने लगे कि दुनिया गोल है……